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दिशा -10-Aug-2022

कहां जा रहे हो?
न ठौर न ठिकाना
चले जा रहे हो
कहां पर? बताना
मंजिल कहां है?
कहां पर है जाना?
दिशा वह कौन है?
किधर हो रवाना?
पथिक ने बताया
निकल कर खड़ा हूं 
कहां है ठिकाना न
न मुझको पता है,
जीवन डगर पर
मंजिल किधर है?
न पता का पता है
कि मंजिल जिधर है 
सच तो यही है कि
मैं चल पड़ा हूं
चलूंगा उधर ही
जिधर पथ बढ़ा है 
जीवन की नइया
ही डगमग रहेगी
अगर है दशा का
दिशा न सही है
दिशा हर दशा का
मार्गदर्शन करेगी। 


रचनाकार -रामबृक्ष बहादुरपुरी, अम्बेडकरनगर 
 


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6 Comments

बेहतरीन

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Gunjan Kamal

10-Aug-2022 10:57 AM

बहुत खूब

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shweta soni

10-Aug-2022 10:21 AM

Nice 👍

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